V.S Awasthi

Add To collaction

घनघोर घटाएं




घनघोर घटाएं
***********
सावन माह के जाते जाते इन्द्र देव ने दया दिखाई
दिन में भी हो गया अन्धेरा घनघोर घटाएं फिर घिर आईं
झम झमाझम बारिश आई सबकी बुझ गई प्यास
अब तक जो प्यासे बैठे थे लगा मेघ से आस
सड़कें हो गईं नदियां पोखर घर में भी भरा है पानी
 कहां पर सोयें मम्मी, पापा कहां पर नाना,नानी
दादुर खुशी से टर टर बोलैं मधुबन में नाचैं मोर
कृषक खेत में देख के पानी खुशी से करते शोर
घनघोर घटाएं छाई हैं विरहन के दिल को डराती हैं
बिजली भी खूब चमकती है बारिश लेकर आती हैं
काली घनघोर घटाओं में कान्हा भी अवतरित हुए
वसुदेव और देवकी कष्ट भी सारे दूर हुए
सावन,भादौं के महिने में घनघोर घटाएं आती हैं
वृक्षों की प्यास भी बुझ जाती धरती शीतल हो जाती है
घनघोर घटाएं आती हैं तो धरा तृप्त हो जाती है
नदियों को भी जल मिल जाता खुशी से वो उफनाती हैं
कल कल करती लहरें जब सावन के गीत सुनाती हैं
झूले पर बैठी सखियां भी कजरी, मल्हार भी गाती हैं
पथिक मनोरम दृश्य देख फिर मन्द मन्द मुस्काता है
सावन भादौं की छटा देख मल्हार के गीत सुनाता है
स्वरचित:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

   21
12 Comments

Khan

03-Aug-2022 05:00 PM

Osm

Reply

Raziya bano

03-Aug-2022 09:06 AM

Nice

Reply

Punam verma

03-Aug-2022 07:55 AM

Very nice

Reply